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होम लोन वालों की बल्ले-बल्ले! SBI ने की EMI की जबरदस्त कटौती SBI Home Loan

SBI Home Loan  अगर आप भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के ग्राहक हैं और आपने होम लोन लिया है, तो यह खबर आपके लिए आर्थिक राहत लेकर आई है। SBI ने हाल ही में अपनी ऋण ब्याज दरों में महत्वपूर्ण कटौती की घोषणा की है, जिसका सीधा लाभ लाखों ग्राहकों को मिलेगा। इस कदम से घर का सपना संजोए लोगों के लिए मासिक EMI का बोझ कम होगा और वित्तीय प्रबंधन आसान हो जाएगा।

RBI की मौद्रिक नीति का प्रभाव

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी हालिया बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती करते हुए इसे 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया है। रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। इस दर में बदलाव से बैंकिंग प्रणाली में तरलता प्रवाह प्रभावित होता है।

RBI के गवर्नर ने इस फैसले के पीछे मुख्य कारण बताया है कि महंगाई पर अब काफी हद तक नियंत्रण हासिल हो गया है, और अब अर्थव्यवस्था को गति देने की आवश्यकता है। यह निर्णय न केवल आम नागरिकों के लिए बल्कि उद्योग जगत के लिए भी बड़ी राहत लेकर आया है।

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SBI ने कितनी कटौती की है?

RBI के रेपो रेट में कटौती के बाद, SBI ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए अपनी ब्याज दरों में भी कमी करने का फैसला किया है। बैंक ने अपनी प्रमुख ऋण दरों में निम्नलिखित बदलाव किए हैं:

  1. EBLR (External Benchmark Based Lending Rate): 8.90% से घटाकर 8.65% कर दी गई है
  2. RLLR (Repo Linked Lending Rate): 8.50% से घटाकर 8.25% कर दी गई है

यह कटौती सीधे तौर पर उन ग्राहकों को लाभान्वित करेगी जिन्होंने फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लिया है। इन दरों में बदलाव के साथ-साथ ध्यान रखना चाहिए कि अंतिम ब्याज दर CRP (क्रेडिट रिस्क प्रीमियम) जोड़ने के बाद निर्धारित होती है, जो ग्राहक के क्रेडिट प्रोफाइल और अन्य मापदंडों पर आधारित होती है।

EMI पर कितना असर पड़ेगा?

ब्याज दरों में इस कटौती का सीधा असर आपकी मासिक EMI पर पड़ेगा। आइए एक उदाहरण से समझते हैं:

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  • मान लीजिए आपने 30 लाख रुपये का होम लोन 20 वर्षों के लिए लिया है।
  • पूर्व की ब्याज दर 8.90% थी, जिस पर आपकी EMI लगभग 26,900 रुपये थी।
  • अब नई ब्याज दर 8.65% हो जाने से आपकी EMI घटकर लगभग 26,300 रुपये हो जाएगी।
  • इस प्रकार, आपको हर महीने लगभग 600 रुपये की बचत होगी।
  • पूरे लोन अवधि में यह बचत लगभग 1.44 लाख रुपये तक पहुँच सकती है।

यह बचत आपके लोन की राशि और शेष अवधि के अनुसार भिन्न हो सकती है। जितना बड़ा लोन और जितनी लंबी अवधि शेष है, उतना ही अधिक लाभ मिलेगा।

वैकल्पिक लाभ: EMI कम या लोन अवधि कम?

ब्याज दरों में कटौती का लाभ आप दो तरीकों से उठा सकते हैं:

  1. EMI कम करके: आप अपनी मासिक किस्त (EMI) को कम करके अपने मासिक खर्च का बोझ कम कर सकते हैं। इससे आपको हर महीने थोड़ा अतिरिक्त पैसा मिलेगा, जिसे आप अन्य जरूरतों पर खर्च कर सकते हैं।
  2. लोन अवधि कम करके: आप अपनी EMI को पूर्ववत रखकर लोन की अवधि कम कर सकते हैं। इससे आप अपना कर्ज जल्दी चुका पाएंगे और ब्याज के रूप में कम भुगतान करेंगे।

आपकी वित्तीय स्थिति और प्राथमिकताओं के आधार पर, आप अपने बैंक से संपर्क करके इनमें से किसी भी विकल्प का चयन कर सकते हैं।

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रेपो रेट और होम लोन के बीच संबंध

बहुत से लोगों को रेपो रेट और होम लोन के बीच के संबंध के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

  1. रेपो रेट: यह वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। यह दर बैंकिंग प्रणाली में तरलता के प्रवाह को नियंत्रित करती है।
  2. EBLR और RLLR: अधिकांश बैंक अपनी ऋण दरों को किसी बाहरी मानक से जोड़ते हैं। SBI जैसे बैंक अपनी ऋण दरों को RBI के रेपो रेट से जोड़ते हैं। इस प्रकार, जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, तो बैंकों की ऋण दरें भी स्वतः प्रभावित होती हैं।
  3. फ्लोटिंग रेट लोन: अधिकांश होम लोन फ्लोटिंग रेट पर दिए जाते हैं, जिसका अर्थ है कि ब्याज दर बाजार की स्थिति के अनुसार बदलती रहती है। इसलिए जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो फ्लोटिंग रेट पर लिए गए लोन की EMI भी कम हो जाती है।
  4. फिक्स्ड रेट लोन: इसके विपरीत, फिक्स्ड रेट पर लिए गए लोन पर रेपो रेट के बदलाव का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए ऐसे लोन लेने वाले ग्राहकों को अपने बैंक से संपर्क करके विकल्पों की जांच करनी चाहिए।

अन्य बैंकों की प्रतिक्रिया

SBI के अलावा, अन्य सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों ने भी RBI के कदम का अनुसरण करते हुए अपनी ब्याज दरों में कटौती की है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब नेशनल बैंक, और केनरा बैंक जैसे प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने भी अपनी ब्याज दरों में 0.25% तक की कटौती की है।

निजी क्षेत्र के बैंकों में भी यह प्रवृत्ति देखी जा सकती है, हालांकि उनकी कटौती का प्रतिशत और समय भिन्न हो सकता है। इससे स्पष्ट है कि बैंकिंग उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को बेहतर दरें और सेवाएं प्राप्त होंगी।

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ब्याज दरों में कटौती का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

ब्याज दरों में कटौती का प्रभाव केवल होम लोन लेने वाले ग्राहकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक आर्थिक प्रभाव भी है:

  1. रियल एस्टेट सेक्टर: होम लोन सस्ता होने से रियल एस्टेट सेक्टर में गतिविधि बढ़ सकती है। अधिक लोग घर खरीदने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
  2. अर्थव्यवस्था का विकास: कम ब्याज दरों से उपभोक्ता और निवेश खर्च बढ़ सकता है, जो अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक होता है।
  3. व्यापार और उद्योग: कम ब्याज दरों से व्यापारिक ऋण भी सस्ते होते हैं, जिससे उद्योग और व्यापार को विस्तार का अवसर मिलता है।
  4. महंगाई पर नियंत्रण: RBI का यह कदम महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने और अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से लिया गया है।

क्या आपको कुछ करना चाहिए?

अगर आपने SBI से फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लिया है, तो आपको विशेष रूप से कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। बैंक स्वचालित रूप से आपकी EMI की पुनर्गणना करेगा और आपको अपडेट भेजेगा। फिर भी, आप अपने लोन विवरण की जांच के लिए निम्न कदम उठा सकते हैं:

  1. बैंक से संपर्क करें: अपनी शाखा या SBI के ग्राहक सेवा केंद्र से संपर्क करके अपने लोन की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
  2. ऑनलाइन चेक करें: SBI की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से अपने लोन खाते की जांच करें।
  3. EMI कैलकुलेटर का उपयोग करें: ऑनलाइन EMI कैलकुलेटर का उपयोग करके नई ब्याज दर पर अपनी EMI की गणना करें।
  4. प्री-पेमेंट विकल्प: अगर आपके पास अतिरिक्त धन है, तो कम ब्याज दर का लाभ उठाते हुए लोन का आंशिक प्री-पेमेंट करने पर विचार करें।

SBI द्वारा होम लोन ब्याज दरों में की गई कटौती लाखों ग्राहकों के लिए आर्थिक राहत का संकेत है। यह कदम न केवल EMI का बोझ कम करेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था में भी नई जान फूंकेगा। विशेष रूप से उन परिवारों के लिए यह एक बड़ी खुशखबरी है, जो अपने सपनों के घर के लिए बड़े ऋण का बोझ उठा रहे हैं।

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यह समय आपके वित्तीय योजना की समीक्षा करने का भी है। अगर आप अभी भी होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह एक अच्छा मौका हो सकता है। और अगर आपके पास पहले से ही लोन है, तो यह एक अच्छा समय है अपने वित्तीय लक्ष्यों को पुनर्मूल्यांकित करने और अपनी EMI या लोन अवधि के विकल्पों पर विचार करने का।

आखिर में, यह संकेत है कि RBI और बैंकिंग प्रणाली आम नागरिकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उन्हें वित्तीय राहत प्रदान करने के प्रति प्रतिबद्ध है। इस कदम से घर का सपना पूरा करने वालों के चेहरे पर मुस्कान आएगी और उनके परिवारों के लिए वित्तीय सुरक्षा बढ़ेगी।

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