पीएम विश्वकर्मा योजना के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू Registration started for PM

Registration started for PM भारत एक ऐसा देश है जहां पारंपरिक कलाओं और शिल्प का विशेष महत्व रहा है। सदियों से हमारे कारीगर और शिल्पकार अपनी कला को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाते आए हैं। लेकिन आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण के इस युग में, इन पारंपरिक कलाओं और कारीगरों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार और उनकी कला को बचाए रखने के लिए भारत सरकार ने ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना’ की शुरुआत की है।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना क्या है?

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य देश के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना का नाम हिन्दू पौराणिक कथाओं के भगवान विश्वकर्मा के नाम पर रखा गया है, जिन्हें देवताओं का शिल्पकार माना जाता है। यह योजना पारंपरिक कारीगरों को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार से जुड़ने के अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास करती है।

सरकार ने इस योजना के लिए ₹18,000 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जिससे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ मिलने की उम्मीद है। इस योजना के तहत न केवल वर्तमान पीढ़ी के कारीगरों को सहायता दी जाएगी, बल्कि युवा पीढ़ी को भी इन पारंपरिक कलाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि ये कलाएं आने वाली पीढ़ियों में भी जीवित रहें।

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योजना के प्रमुख लाभ और विशेषताएं

1. व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत, पारंपरिक कारीगरों को उनके क्षेत्र में उन्नत तकनीकों और कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण बिल्कुल निःशुल्क है और इसे विशेषज्ञों द्वारा संचालित किया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान, कारीगरों को न केवल अपने कौशल को निखारने का अवसर मिलता है, बल्कि उन्हें आधुनिक बाजार की मांगों के अनुसार अपने उत्पादों को अनुकूलित करने का ज्ञान भी दिया जाता है।

यह प्रशिक्षण लगभग 5 से 7 दिनों का होता है और इसमें सिद्धांत और व्यावहारिक दोनों प्रकार के ज्ञान का समावेश होता है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, कारीगरों को एक प्रमाण पत्र भी दिया जाता है, जो उनके कौशल को प्रमाणित करता है।

2. टूलकिट सहायता

प्रशिक्षण के साथ-साथ, कारीगरों को उनके काम के लिए आवश्यक उपकरण (टूलकिट) भी प्रदान किए जाते हैं। ये उपकरण उनके कार्य को आसान और अधिक कुशल बनाते हैं। टूलकिट के लिए सरकार द्वारा ₹15,000 तक की सहायता दी जाती है, जिससे कारीगरों को अपने काम के लिए गुणवत्तापूर्ण उपकरण प्राप्त करने में मदद मिलती है।

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3. रियायती ब्याज दर पर ऋण

योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू रियायती ब्याज दर पर ऋण की उपलब्धता है। कारीगर अपने व्यवसाय को बढ़ाने या नया व्यवसाय शुरू करने के लिए ₹3 लाख तक का ऋण प्राप्त कर सकते हैं। इस ऋण पर ब्याज दर मात्र 5% है, जो बाजार की तुलना में बहुत कम है।

ऋण दो चरणों में प्रदान किया जाता है:

  • पहला चरण: ₹1 लाख तक का ऋण
  • दूसरा चरण: पहले ऋण का सफलतापूर्वक भुगतान करने के बाद, ₹2 लाख तक का अतिरिक्त ऋण

इस तरह, कुल मिलाकर एक कारीगर ₹3 लाख तक का ऋण प्राप्त कर सकता है। इस ऋण के लिए कोई संपार्श्विक प्रतिभूति (कोलैटरल) की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह छोटे कारीगरों के लिए बहुत सुलभ हो जाता है।

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4. डिजिटल पहचान और प्रमाणीकरण

योजना के तहत, सभी पंजीकृत कारीगरों को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान पत्र जारी किया जाता है। यह पहचान पत्र उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठाने में मदद करता है। इसके अलावा, उन्हें एक प्रमाण पत्र भी दिया जाता है, जो उनके कौशल और प्रशिक्षण को प्रमाणित करता है।

यह डिजिटल पहचान न केवल उनके कौशल को मान्यता देती है, बल्कि उन्हें डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़ने में भी मदद करती है।

पात्रता मापदंड

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ उठाने के लिए, आवेदक को निम्नलिखित मापदंडों को पूरा करना होगा:

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  1. आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
  2. आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  3. आवेदक ने पहले इस योजना का लाभ नहीं लिया हो।
  4. पिछले 5 वर्षों में PM स्वनिधि या मुद्रा योजना का लाभ नहीं लिया हो।
  5. आवेदक निम्नलिखित पारंपरिक व्यवसायों में से किसी एक से जुड़ा हो:
    • बढ़ई (कारपेंटर)
    • लोहार
    • सुनार (सोनार)
    • कुम्हार
    • मोची
    • दर्जी
    • नाई
    • धोबी
    • राज मिस्त्री
    • मूर्तिकार
    • ताम्बा, पीतल और तांबे के बर्तन बनाने वाले
    • अस्त्र-शस्त्र निर्माता
    • टोकरी, चटाई, झाड़ू बनाने वाले
    • मछली जाल बनाने वाले
    • पारंपरिक खिलौने निर्माता
    • चर्मकार
    • नाव निर्माता
    • और अन्य पारंपरिक व्यवसाय

आवेदन प्रक्रिया

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया सरल और स्पष्ट है। आवेदक निम्नलिखित चरणों का पालन करके आवेदन कर सकते हैं:

  1. सबसे पहले, योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  2. ‘पंजीकरण’ या ‘रजिस्ट्रेशन’ विकल्प पर क्लिक करें।
  3. आवश्यक व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार नंबर आदि दर्ज करें।
  4. अपने व्यवसाय या कला के बारे में विवरण प्रदान करें।
  5. आवश्यक दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, पहचान पत्र, राशन कार्ड आदि अपलोड करें।
  6. फॉर्म को सबमिट करें और पंजीकरण संख्या प्राप्त करें।
  7. पंजीकरण की पुष्टि के बाद, आवेदक को प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए बुलाया जाएगा।

योजना का प्रभाव और महत्व

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लक्ष्य केवल कारीगरों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना ही नहीं है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना भी है। यह योजना निम्नलिखित तरीकों से प्रभाव डाल रही है:

1. आर्थिक सशक्तिकरण

योजना के माध्यम से, कारीगरों को अपने व्यवसाय को बढ़ाने और आय बढ़ाने का अवसर मिलता है। रियायती ब्याज दर पर ऋण की उपलब्धता उन्हें अपने व्यवसाय में निवेश करने और उसे विस्तारित करने की क्षमता प्रदान करती है।

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2. कौशल विकास

प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से, कारीगर अपने कौशल को निखारते हैं और आधुनिक तकनीकों से परिचित होते हैं। यह उन्हें बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद बनाने और बाजार की मांगों के अनुसार अनुकूलित करने में मदद करता है।

3. सांस्कृतिक संरक्षण

योजना पारंपरिक कलाओं और शिल्प को संरक्षित करके भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बचाने में मदद करती है। यह युवा पीढ़ी को भी इन कलाओं से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।

4. रोजगार सृजन

योजना के माध्यम से, न केवल मौजूदा कारीगरों को सहायता मिलती है, बल्कि नए रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं। जैसे-जैसे कारीगरों का व्यवसाय बढ़ता है, वे अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर सकते हैं।

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प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। यह उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। योजना का विस्तार और इसके प्रभावी कार्यान्वयन से, भारत के पारंपरिक कारीगर और शिल्पकार एक नई ऊँचाई तक पहुँच सकते हैं और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।

अगर आप भी एक पारंपरिक कारीगर या शिल्पकार हैं और अपने व्यवसाय को बढ़ावा देना चाहते हैं, तो प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना आपके लिए एक सुनहरा अवसर हो सकती है। इस योजना के माध्यम से, आप न केवल अपने कौशल को निखार सकते हैं, बल्कि अपने व्यवसाय को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं। समय रहते इस योजना का लाभ उठाएं और अपने सपनों को साकार करें।

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